Iṣṭa-deve Vijñapti (in Hindi)
हरि हरि! बिफले जनम गोङाइनु
मनुष्य-जनुम पाइया, राधा-कृष्ण ना भजिया,
जानिया शुनिया बिष खाइनु
गोलोकेर प्रेम-धन, हरि-नाम-संकीर्तन
रति ना जन्मि लो केने ताय्
संसार-बिषानले’ दिबा-निशि हिया ज्वले,
जुडाइते ना कोइनु उपाय्
ब्रजेंद्र-नंदन जेइ, शची-सुत होइलो सेइ,
बलराम होइलो निताइ
दीन-हीन जत छिलो, हरि-नामे उद्दारिलो,
तार शाक्षी जगाइ माधाइ
हा हा प्रभु नंद-सुत, वृषभानु-सुता-जुत,
कोरुणा करोहो एइ-बारो
नरोत्तम-दास कोय्, ना ठॆलिहो रांगा पाय्,
तोमा बिने के आछे आमार
ध्वनि
- श्री अमलात्म दास तथा भक्त वृन्द- इस्कॉन बैंगलोर