Prayer unto the Lotus Feet of Kṛṣṇa (in Hindi)
कृष्ण तब पुण्य हबॆ भाइ
ए पुण्य कोरिबे जबे राधाराणी खुषी हबे
ध्रुव अति बोलि तोमा ताइ
श्री-सिद्धांत सरस्वती शची-सुत प्रिय अति
कृष्ण-सेवाय जार तुल नाइ
सेइ से मॊहांत-गुरु जगतेर् मधे उरु
कृष्ण-भक्ति देय् ठाइ ठाइ
तार इच्छा बलवान् पाश्चात्येते ठान् ठान्
होय् जाते गौरांगेर् नाम्
पृथ्वीते नगरादि आसमुद्र नद नदी
सकलेइ लोय् कृष्ण नाम्
ताहले आनंद होय् तबे होय् दिग्विजय्
चैतान्येर् कृपा अतिशय्
माया दुष्ट जत दुःखी जगते सबाइ सुखी
वैष्णवेर् इच्छा पूर्ण होय्
से कार्ज जे कोरिबारे आज्ञा जदि दिलो मोरे
योग्य नहि अति दीन हीन
ताइ से तोमार कृपा मागितेछि अनुरूपा
आजि तुमि सबार् प्रवीण
तोमार से शक्ति पेले गुरु-सेबाय बस्तु मिले
जीवन सार्थक् जदि होय्
सेइ से सेबा पाइले ताहले सुखी हले
तब संग भाग्यते मिलोय्
एवं जनं निपतितं प्रभवाहि – कूपे
कामाभिकामम् अनु यः प्रपतन् प्रसंगात्
कृत्वात्मसात् सुरर्षिणा भगवन् गृहीतः
सो’हं कथं नु विसृजे तव भृत्य-सेवाम्
तुमि मोर् चिर साथी भुलिया मायार् लाथि
खाइयाछि जन्म-जन्मांतरे
आजि पुनः ए सुयेग यदि होय् योगायोग
तबे पारि तुहे मिलिबारे
तोमार मिलने भाइ आबार् से सुख पाइ
गोचारणे घुरि दिन् भोर्
कत बने छुटाछुटि बने खाइ लुटापुटि
सेइ दिन् कबे हबे मोर्
आजि से सुबिधाने तोमार स्मरण भेलो
बोडो आशा डाकिलाम् ताइ
आमि तोमार नित्य-दास ताइ कोरि एत आश
तुमि बिना अन्य गति नाइ
ध्वनि
- भक्त वृन्द- इस्कॉन बैंगलोर