Gaura-ārati (in Hindi)
जय जय गोराचांदेर् आरति को शोभा
जाह्नवी-तट-वने जग-मन-लोभा
दखिणॆ नीताइचांद्, बामे गदाधर
निकटे अद्वैत, श्रीनिवास छत्रधर
बोसियाछे गोराचांद रत्न-सिंहासने
आरति कोरॆन् ब्रह्मा-आदि देव-गणे
नरहरि-आदि कोरि ‘ चामर ढुलाय
संजय मुकुंद बासु घोषादि गाय
शंख बाजे घंटा बाजे बाजे करताल
मधुर मृदंग बाजे परम रसाल
बहु कोटि चंद्र जिनि ‘ वदन उज्ज्वल
गल-देशे बन-माला कोरॆ झलमल
शिव-शुक-नारद प्रेमे गदगद
भकतिविनोद देखे गोरार संपद
ध्वनि
- श्री स्तोक कृष्ण दास तथा भक्त वृन्द- इस्कॉन बैंगलोर